नमाज की शर्तें-फ़र्ज़ और वाजिबात

Namaz ke farz

नमाज की शर्त कितनी होती है ?

नमाज़ के लिये ज़रूरी छः (6) शर्तें :

नमाज़ के लिये छः (6) शर्तें हैं अगर इनमें से एक भी शर्त पूरी न हो तो नमाज़ पढ़ ही नहीं सकते। लिहाज़ा हमारे लिये यह ज़रूरी है कि इनके बारे में पूरी जानकारी हासिल करके नमाज़ शुरू करने से पहले इनको पूरा करें ताकि अल्लाह तआला के हुक्म और अपने प्यारे नबी मुहम्मद گ के बताये हुए तरीक़े के मुताबिक़ नमाज़ अदा कर सकें ।

नमाज़ की शर्तें हैं-
1. तहारत यानि पाकी
2. जिस्म का ढकना (सत्रे औरत)
3. क़िब्ले को रुख़ करना (इस्तक़बाले क़िब्ला)
4. वक़्त
5. नीयत
6. तकबीरे तहरीमा (नीयत बाँधना)

Namaz Mein Kitne Farz Hai – जानिए नमाज़ में कितने फर्ज है |

हमे और आपको इस बात का इल्म होना बहुत ही जरूरी है कि नमाज़ में कितने फर्ज होते हैं, क्यूं कि इसके बिना हम सभों की नमाज़ कुबूल तो बहुत दूर की बात पहले शुरू ही नहीं होती यही वजह है कि हमें और आप को तथा सभी मोमिनों को नमाज़ की फर्ज़ जरूर मालुम होना चाहिए जिसे दुरूस्त तरीके से नमाज़ अदा कर सकें।

नमाज़ में 7 सात फर्ज है:

तकबीरे तहरीमा
कयाम करना
किराअत करना
रुकुअ करना
सज्दा करना
काअदए अखिरा
नमाज़ पुरा करना
नमाज़ में कुल मिलाकर 7 फर्ज है पहला तकबीरे तहरीमा, दुसरा कयाम, तिसरा किराअत, चौथा रूकुअ, पांचवा सज्दा, छठां काअदए अखिरा आखिरी और सांतवा फर्ज सलाम फेर कर नमाज पुरा करना है।

 नमाज़ के वाजिबात :

1 तक्बीर तहरीमा में अल्लाहू अकबर कहना।

2 फ़र्ज़ नमाज़ की 2 रकातों में और सुन्नत और नफल नमाज़ की हर रकत में सुरे फ़ातिहा पढ़ना

3 सुरे फ़ातिहा के साथ सूरत मिलाना

4 फ़र्ज़ में पहली दो रकातों को किरत के लिए ख़ास करना

मतलब यह है कि फ़र्ज़ की पहली की दोनों रकातों में किरत यानि अलहम्दु के बाद कोई सूरत पढ़ना वजिब है, अगर फ़र्ज़ नमाज़ 4 रकत वाली नमाज़ हो और पहली की दोनों रकातों में किरत नहीं किया बल्कि आखिर की दोनों रकातों में किरत तो वजिब के छूट जाने की वजह से सजदा सहो वजिब होगा।

5 सुरे फ़ातिहा को सूरत से पहले पढ़ना

6 एक ही रकत में सुरे फ़ातिहा को दोबारा न पढ़ना।

7 जेहरी नमाज़ों में जैसे: फजर, मग़रिब, और ईशा में ज़ोर ज़ोर किरत करना।

8 सिर्री नमाज़ों में जैसे ज़ोहर, असर, में आहिस्ता आहिस्ता किरत करना।

9 तादीले अरकान

यानि क़याम, रुकू, सजदा, जलसा, और कौमा को सही अदा करना, ऐसा ना हो कि अभी रुकू से सीधा खड़ा नहीं हुआ और’ सजदा में चला गया, या पहला सजदा अभी पूरा नहीं किया और दोसरे सजदा में चला गया।

10 कौमा करना

यानि रुकू से उठ कर सीधा खड़े होना, अगर कौमा नहीं किया तो सजदा सहो वजिब होगा।

11 सजदा में पेशानी और नाक को ज़मीन पर रखना वजिब है, बेगैर किसी मजबूरी के सिर्फ नाक पर सजदा करना मना है।

12 हर रकत में दोनों सजदों को लगातार करना

यानि दोनों सजदों के बीच कुछ और ना करे वरना सजदा सहो वजिब हो जाए गा।

13 दोनों सजदों के बीच में बैठना

यानि जलसा करना, अगर जलसा नहीं किया यानि दोनों सजदों के बीच नहीं बैठा तो सजदा सहो वजिब हो गा।

14 कादा ऊला करना

3 या 4 रकत वाली फ़र्ज़ या नफल नमाज़ इतनी देर बैठना जितनी देर में अत्तहीयात पढ़ ले।

15 कादा ऊला, और कादा अखीरा में तशोहुद यानि अत्तहियात पढ़ना।

16 कादा ऊला में तशौहुद के बाद फ़ौरन खड़ा होना।

अगर खड़े होने के बजाये दरूद शरीफ पढ़ना आरम्भ कर दिया तो सजदा सहो वजिब होगा।

17 नमाज़ की क्र्याऔं बिना किसी अलगाव के पूरा करना।

अगर पहली रकत के सजदे के बाद सीधे खड़े होने के बजाये कोई आदमी कादा में बैठ गया, या लगातार 2 रुकू, या तीन सजदे कर लिया तो क्र्याऔं में देरी की वजह से सजदा साहु वजिब होगा।

18 सलाम के शब्द से नमाज़ को समाप्त करना।

19 वित्र की नमाज़ में कुनूत को पढ़ना।

20 ईद और बकरा ईद की नमाज़ की 6 अतिरिक्त तक्बीरें

3 तक्बीर पहली रकत में, और 3 तक्बीर दोसरी रकत में, इन में से अगर कोई तक्बीर भूले से छूट गयी तो सजदा सहो वजिब होगा।

21 ईद और बकरा ईद की नमाज़ की दोसरी रकत में रुकू की तक्बीर

ईद और बकारा ईद की नमाज़ में यह तक्बीर वजिब है, और दोसरी नमाज़ों में रुकू की तक्बीर केवल सुन्नत है।

अगर वजिब छूट जाए तो क्या करे?

ऊपर जितनी बातें आप को बयाई गयी हैं, उन पर अमल करना हर नमाज़ में जरूरी है, अगर उन में से कोई बात रह जाए यानि छूट जाए तो अगर नमाज़ी ने उनको जान बूझ कर छोड़ा है तो नमाज़ नहीं होगी, नमाज़ को फिर से पढ़ना पड़े गा, और अगर भूल कर छोड़ा है तो सजदा सहो करने से नमाज़ हो जाए गी।