Namaz ki Fazilat
नमाज़ पढ़ने की फ़ज़ीलत जाने
1. जो शख़्स पाँचों वक़्त की फ़र्ज़ नमाज़ें तमाम शर्तों के साथ सही वक़्तों पर पाबन्दी से अदा करता है उसके लिए अल्लाह ता’अला उसके कबीरा और सगीरा गुनाहों को माफ़ करने का वादा करता है।
2. इस्लाम में सबसे ज़्यादा अल्लाह के नज़दीक महबूब चीज़ वक़्त पर नमाज़ पढ़ना है और जिस ने नमाज़ छोड़ी उस का कोई दीन नहीं नमाज़ दीन का सुतून और मोमिन का नूर है। (शैबुल ईमान)
3. जब आदमी नमाज़ के लिए खड़ा होता है तो जन्नत के दरवाज़े खुल जाते हैं अल्लाह त आला और उस आदमी के बीच से परदे हट जाते हैं।
4. जब आदमी ज़मीन के जिस हिस्से पर नमाज़ पढ़ने के ज़रिये अल्लाह ता’अला को याद करता है तो वो हिस्सा ज़मीन के दुसरे टुकड़ों पर फ़ख्र करता है।
5. जब मुस्लमान पांच वक्तो की नमाज़ पाबन्दी के साथ अदा करता है तो शैतान उससे डरता रहता है और जब वो नमाज़ में कोताही यानि छोड़ने लगता है तो शैतान को उस पर दिलेर हो जाता है।
6. क़यामत के दिन सबसे पहले बन्दे से नमाज़ का हिसाब लिया जायेगा अगर यह सही हुई तो बाक़ी आमाल भी ठीक रहेंगे और यह बिगड़़ी तो सभी बिगड़े। (तिबरानी)
7. जो शख्स तन्हाई में दो रकात नमाज़ पढ़े जिस को अल्लाह और उसके फरिश्तों के सिवा कोई न देखे, तो उसको जहन्नम की आग से आज़ाद होने का परवाना मिल जाता है।
8. जो पाँचों नमाज़ों का एहतेमाम करता है और रुकू सजदे वुज़ू वगैरा को खूब अच्छी तरह से पूरा करता है, तो जन्नत उसके लिए वाजिब हो जाती है, और दोज़ख़ उस पर हराम हो जाती है।
9. जो शख्स सुबह को नमाज़ के लिए जाता है तो उसके हाथ में ईमान का झंडा होता है, और जो बाज़ार को जाता है उसके हाथ में शैतान का झन्डा होता है।
10. जब आदमी नमाज़ में दाखिल होता है तो अल्लाह तआला उसकी तरफ पूरी तरह से तवज्जो फरमाते हैं और जब वो नमाज़ से हट जाता है तो वो भी तवज्जो हटा लेते हैं।
11. अल्लाह तआला ने कोई चीज़ ईमान और नमाज़ से अफज़ल फ़र्ज़ नहीं की और अगर उस से अफज़ल किसी और चीज़ को फ़र्ज़ करते तो फरिश्तों को उसका हुक्म देते, फ़रिश्ते दिन रात कोई रुकू में है और कोई सजदे में है।
12. क़यामत के दिन आदमी के आमल में सबसे पहले फ़र्ज़ नमाज़ का हिसाब लिया जाएगा और अगर फ़र्ज़ नमाज़ दुरुस्त हुई तो वो कामयाब होगा और अगर नमाज़ दुरुस्त नहीं हुई तो वो नाकाम होगा।
13. हजरत उबादा बिन सामित से रिवायत है नबी सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया ” जो सख्स अल्लाह के लिए एक सजदा करता है तो अल्लाह उसके लिए एक नेकी लिख देता है और एक गुनाह मिटा देता है और एक दर्जा बुलंद कर देता है (sunan ibne maja Hadees1424)
14. हजरत अनस बिन मालिक फरमाते है की अल्लाह के नबी पर मेराज में 50 नमाज़े फ़र्ज़ हूँ फिर कम होते होते 5 रह गयी आखिर में एलान किया गया के ये मुहम्मद मेरे यहाँ बात बदली नहीं जाती लिहाज़ा 5 नमाजो का सवाब 50 नमाजो के बराबर ही मिलेगा. (Jami at Tirmidhi Hadees 213, Sunan An Nasai Hadees 449)
15. हजरत अमार अपने वालिद से रिवायत करते है के रसूल सल्लल्लाहु अलय्ही वसल्लम ने फ़रमाया “अपने बच्चो को 7 साल की उम्र में नमाज़ का हुक्म दो सिखाओ और 10 साल की उम्र में नमाज़ नहीं पढ़ने पर इन्हें मारो और इस उम्र में इन्हें अलग अलग बिस्टरो पर सुलाओ. (Sunan Abu Dawood 495)”