Hazoor – E – Akram SAW Ka Aakhri Khutba (hajjatul wada khutaba)

Hazoor – E – Akram SAW Ka Aakhri Khutba (hajjatul wada khutaba)

आखरी ख़ुत्बा-ए-हज (Hajjatul wada) के अहम नुक़ात मैदान-ए-अरफ़ात में 9 ज़िल्हिज्ज् , 10 हिजरी, यानी 7 मार्च 632 ईस्वी को इमाम-ए-कायनात, सैय्यदना जनाब-ए-मुहम्मद सल लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने आखरी ख़ुत्बा-ए-हज (Hajjatul wada) दिया था। इसके कुछ अहम नुकात ये हैं ;   ऐ लोगो !...
अल्लाह की रहमत वाकिया

अल्लाह की रहमत वाकिया

अल्लाह की रहमत वाकिया अल्लाह की रहमत का एक खुबसूरत वाकिया इब्न खुदामा अपनी किताब अत-तवाबिंन में बनी इस्राईल का वाकिया पेश करते हुए कहते है के, मूसा (अलैहि सलाम) के ज़माने में एक बार केहत आया (सुखा पड़ा), आप अपने तमाम सहाबा के साथ अल्लाह की बारगाह में हाथ उठाकर बारिश के...
नमाज की शर्तें-फ़र्ज़ और वाजिबात

नमाज की शर्तें-फ़र्ज़ और वाजिबात

नमाज की शर्तें-फ़र्ज़ और वाजिबात नमाज की शर्त कितनी होती है ? नमाज़ के लिये ज़रूरी छः (6) शर्तें : नमाज़ के लिये छः (6) शर्तें हैं अगर इनमें से एक भी शर्त पूरी न हो तो नमाज़ पढ़ ही नहीं सकते। लिहाज़ा हमारे लिये यह ज़रूरी है कि इनके बारे में पूरी जानकारी हासिल करके नमाज़...
जिन्न या जिन्नात की ग़िज़ा यानी खाना किया?

जिन्न या जिन्नात की ग़िज़ा यानी खाना किया?

जिन्न या जिन्नात की ग़िज़ा यानी खाना किया? JINNAT KYA KHATE, JINNAT KI GIZAYE KYA HAI : जिन्नात का गिरोह बारगाहे रिसालत ﷺ मेंं: हज़रते सय्यदुना अब्दुल्लाह बिन मस्उद से रिवायत है, हुज़ूर ﷺ की खिदमते सरापा अज़मत में जिन्नात का एक वफ्द (गिरोह) हाज़िर हो कर अर्ज़ गुज़ार...
कमसिन बच्चों को मस्जिद में लाना कैसा है ?

कमसिन बच्चों को मस्जिद में लाना कैसा है ?

कमसिन बच्चों को मस्जिद में लाना कैसा है ? ज़्यादा छोटे ना समझ कमसिन बच्चों का मस्जिद में आना या उन्हें लाना शरअन ना पसंदीदा नाजायज़ और मकरूह है। कुछ लोग औलाद से बेजा मोहब्बत करने वाले, नमाज़ के लिए मस्जिद में आते हैं तो अपने साथ कमसिन नासमझ बच्चों को भी लाते हैं, यहां तक...