बिलाली मदरसा
मदरसा शब्द का मतलब है “एक ऐसी जगह जहाँ पर तालीम दी जाती है’। बिलाली मदरसे में बच्चों को उर्दू और मदरसे में हैं अरबी जुबान , कुरान, कुरान का तर्जुमा और हदीस पढ़ाए जाते हैं । यहाँ बच्चों को सबकी इज़्ज़त करना सबसे पहले सिखाया जाता है। पर्सनल हाइजीन के बारे में बच्चों को बताया जाता है ताकि वह पाकी का ख्याल रखें। बिलाली मदरसे में बच्चों को माखरिज से पढ़ाया जाता हैं।
मदरसों में तालीम पूरी करने के बाद उनको तालीम के मुताबिक ही डिग्री और सर्टिफिकेट दिया जाता है, मिसाल के तौर “आलिम” को इस्लाम का जानकार माना जाता है. हाफिज की डिग्री उसको दी जाती है जिसे पूरी कुरान अच्छे से याद होती है, मुफ़्ती उस व्यक्ति को बोला जाता है जो कि शरीआ कानून का जानकार होता है. इसी तरह हदीस के आलिम को मुहद्दिस कहा जाता है. इसी तरह से इस्लाम के जानकार को उसके इल्म के मुताबिक औथा और डिग्री दी जाती हैं |
बिलाली मदरसे में मोहल्ले के 70 तलबा इल्में दीन हासिल कर रहे हैं। हम मुबारक बाद पेश करते इनके घरवालो को जिन्होंने अपने बच्चों के लिए दीनी और दुनियावीं तालीम की एहमियत समझी।
आज हमारे पिछड़ने का वजह ही यह है की हमने दीनी और दुनियावी तालीम को अलग अलग कर दिया है। जबकि यह दोनों यह ही सिक्के के दो पहलू हैं। एक के बिना दूसरा अधूरा रह जाएगा।
आज हमको सिर्फ डॉक्टर,इंजीनियर ,साइंटिस्ट ,IAS ,RAS नहीं चाहिए बल्कि हमको वह डॉक्टर,इंजीनियर ,साइंटिस्ट ,IAS ,रास चाहिए जो दुनियावी तालीम और दीनी तालीम दोनों में अवल हो। आज हमारे यह रोले मॉडल अगर पांच वक्ता नमाज़ी भी हो और कौम का दर्द इनके सीने में हो तो अल्लाह की कसम यह हामरी कौम में सेंकडो डॉक्टर,इंजीनियर ,साइंटिस्ट ,IAS ,RAS पैदा कर दें और हमारे बच्चों को किसी मोटिवेशनल या पर्सनालिटी डेवलपमेंट क्लास की ज़रूरत नहीं पड़ेगी और यही लोग उनके मोटिवेशन होंगे।
बेशक नमाज ही बेहतरीन साथी है
दुनिया से कब्र तक, कब्र से हश्र तक, और हश्र से जन्नत तक